गीता प्रेस, गोरखपुर >> भजन संग्रह भजन संग्रहगीताप्रेस
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इस पुस्तक में भारत के प्रमुख कवियों द्वारा गाये गये भजनों का संग्रह प्रस्तुत किया गया है।
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
हम संसारबद्ध जीवों को इतना अवकाश कहाँ, जो संत-महात्माओं की समग्र सरस
बानियों का पवित्र परायण कर सकें ? इसलिये इस भजन संग्रह में थोड़े-से
चुने हुए पदों का संकलन किया गया है। अच्छा हो कि इनका रस लेकर हमारी
लोभ-प्रवृत्ति जागे और हम सम्पूर्ण बानियों का आनन्द लेने को प्रेम-विह्वल
हो जायँ।
इस संग्रह के प्रारम्भ में गोसाईं तुलसीदास, महात्मा सूरदार औऱ संतवर कबीरदास के पदों का संकलन है। भक्ति-साहित्य में इन तीनों ही महात्माओं की दिव्य बानियाँ अनुपम हैं, तदन्तर अष्टछाप के अनन्य भक्तों तथा हितहरिवंश, स्वामी हरिदास, गदाधर भट्ट हरिराम व्यास आदि वज्र-रस-मधुकरों की सुललित गुंजार और नानक, दादूदयाल, रैदास, मलूक दास आदि संतों के पदों का संक्षिप्त संग्रह है। ग्रन्थ के मध्य में कुछ हरिभक्त देवियों के पदों का संग्रह है। जिसमें प्रमुख हैं-मीरा, सहजोबाई, वृन्दावनवासिनी बनीठनीजी, प्रतापबाला तथा युगलप्रियाजी। अन्त में कुछ रामरँगीले भक्तों की वाणी का संकलन किया गया है, एक दरियासाहब को छोडकर शेष सभी मुसलमान हैं, जिनके बारे में श्रीभारतेन्दु जी ने कहा है- ‘इन मुसलमान हरिजनन पै कोटिन हिन्दुन वारिये।’
इस संग्रह के प्रारम्भिक (1-860 तक) पदों का संकलन श्रीवियोगी हरि जी ने किया था, जो पहले गीताप्रेस द्वारा चार खण्डों में छप चुके हैं। इस संग्रह में भी वे पद ज्यों-के-त्यों सम्मिलित किये गये हैं।
गन्थ की समाप्ति नित्यलीलालीन परम श्रद्धेय भाईजी श्रीहनुमान प्रसाद पोद्दार के परमोपयोगी सरस पदों से की गयी है । पाठकों के सुविधार्थ पुस्तक में दिये गये समस्त पदों (बानियों) का वर्णमाला–क्रम में ही एक से अधिक भक्त-कवियों की इन बानियों का रसास्वादन कर सकें। सभी श्रद्धालु जनों को इस ‘भजन-संग्रह’ से विशेष लाभ उठाना चाहिये। अन्त में भगवान से हमारी प्रार्थना है कि इन हरिभक्त कवियों की विमल बानियों से जगत को सुख-शान्ति एवं आनन्द की प्राप्ति हो।
इस संग्रह के प्रारम्भ में गोसाईं तुलसीदास, महात्मा सूरदार औऱ संतवर कबीरदास के पदों का संकलन है। भक्ति-साहित्य में इन तीनों ही महात्माओं की दिव्य बानियाँ अनुपम हैं, तदन्तर अष्टछाप के अनन्य भक्तों तथा हितहरिवंश, स्वामी हरिदास, गदाधर भट्ट हरिराम व्यास आदि वज्र-रस-मधुकरों की सुललित गुंजार और नानक, दादूदयाल, रैदास, मलूक दास आदि संतों के पदों का संक्षिप्त संग्रह है। ग्रन्थ के मध्य में कुछ हरिभक्त देवियों के पदों का संग्रह है। जिसमें प्रमुख हैं-मीरा, सहजोबाई, वृन्दावनवासिनी बनीठनीजी, प्रतापबाला तथा युगलप्रियाजी। अन्त में कुछ रामरँगीले भक्तों की वाणी का संकलन किया गया है, एक दरियासाहब को छोडकर शेष सभी मुसलमान हैं, जिनके बारे में श्रीभारतेन्दु जी ने कहा है- ‘इन मुसलमान हरिजनन पै कोटिन हिन्दुन वारिये।’
इस संग्रह के प्रारम्भिक (1-860 तक) पदों का संकलन श्रीवियोगी हरि जी ने किया था, जो पहले गीताप्रेस द्वारा चार खण्डों में छप चुके हैं। इस संग्रह में भी वे पद ज्यों-के-त्यों सम्मिलित किये गये हैं।
गन्थ की समाप्ति नित्यलीलालीन परम श्रद्धेय भाईजी श्रीहनुमान प्रसाद पोद्दार के परमोपयोगी सरस पदों से की गयी है । पाठकों के सुविधार्थ पुस्तक में दिये गये समस्त पदों (बानियों) का वर्णमाला–क्रम में ही एक से अधिक भक्त-कवियों की इन बानियों का रसास्वादन कर सकें। सभी श्रद्धालु जनों को इस ‘भजन-संग्रह’ से विशेष लाभ उठाना चाहिये। अन्त में भगवान से हमारी प्रार्थना है कि इन हरिभक्त कवियों की विमल बानियों से जगत को सुख-शान्ति एवं आनन्द की प्राप्ति हो।
-प्रकाशक
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